Friday, May 10th, 2024

अंगद के पांव की तरह जमने वाले पदाधिकारी प्रोफेसरों को हाईकोर्ट ने उठाया

भोपाल
राज्य में मान्यता प्राप्त संघ से जुडने के बाद प्रोफेसर अंगद महाराज के पांव तरह कालेजों में जम जाते हैं, लेकिन मप्र हाईकोर्ट ने अंगद की तरह पांव जमने वाले प्रोफेसरों को उठाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे उच्च शिक्षा विभाग को प्रोफेसरों को एक से दूसरे कालेज में ट्रांसफर करने में काफी सुविधा मिलेगी। हाईकोर्ट ने मान्यता प्राप्ता संघ से जुड़े एक पदाधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहाकि याचिकाकर्ता को 200 किमी के अंदर ट्रांसफर किया गया है। उन्हें सियाचीन या अंडमान निकोबार नहीं भेजा रहा है। इसलिए हाईकोर्ट ने एक प्रोफेसर के देवास से रायसेन हुए ट्रांसफर आदेश को यथावत रखा है।  

शासन अपनी व्यवस्था को जमाते हुए प्रोफेसर, कर्मचारी और अधिकारियों के ट्रांसफर करता है। यही लोग अपना ट्रांसफर बचाने के लिए मान्यता प्राप्त संघ का पद ग्रहण कर लेते हैं। वह हाईकोर्ट पहुंचकर संघ की गतिविधियों की दुहाई देकर ट्रांसफर आदेश को निरस्त करा लेते हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने सात मार्च को डॉ. भगवान सिंह जाधव को गर्ल्स कालेज देवास से स्वामी विवेकानंद कालेज रायसेन भेजा था। ट्रांसफर आदेश को निरस्त कराने के लिए डॉ. जाधव ने प्रांतीय शासकीय महाविद्यालीयन प्राध्यापक संघ में जिलाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर रखा है। इसके चलते वे अपना ट्रांसफर आदेश निरस्त कराने हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने उनके ट्रांसफर आदेश को निरस्त तो नहीं किया। बल्कि उन्हें जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने उनसे कहाकि विभाग ने उन्हें सियाचीन या अंडमान निकोबार नहीं भेज जा रहा है, जिसके करण उनका ट्रांसफर आदेश निरस्त किया जा सके। उनका ट्रांसफर 200 किमी के अंदर देवास से रायसेन हुआ है। इसलिए हाईकोर्ट ने उनके ट्रांसफर आदेश निरस्त करने की याचिका को खारिज कर विभाग के ट्रांसफर आदेश को यथावत रखा किया। 

राजधानी में जमे हैं जभी संगठन 
उच्च शिक्षा विभाग के अलावा हरेक विभाग में कर्मचारी व अधिकारियों के संगठन बने हुए हैं। शासन उनके ट्रांसफर करते हैं, तो हाईकोर्ट पहुंचकर अपना ट्रांसफर निरस्त करा लेते हैं या फिर उसके खिलाफ स्थगन आदेश ले आते हैं। जीएडी के नियमानुसार सिर्फ तीन पदाधिकारी ही इसका फायदा उठा सकते हैं, लेकिन अब हरेक पदाधिकारी इसका फायदा उठाने की व्यवस्था में लगा रहता है। 

राज्य में 21 संघ 
राज्य में शासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 21 मान्यता प्राप्त संघ कार्यरत हैं। इसमें करीब 250 पदाधिकारी पदस्थ हैं। वहीं गैर मान्यता प्राप्त 100 से ज्यादा संगठनों में एक हजार से ज्यादा पदाधिकारी बने हुए हैं। शासन से ट्रांसफर होने पर पदाधिकारी कोर्ट पहुंचकर उसे निरस्त करा लेते हैं। जबकि जीएडी के नियमानुसर मान्यता प्राप्त संघ के राज्य, जिला, तहसील और ब्लाक स्तर पर अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष की सूची तलब कर उनके स्थानांतरण को निरस्त करा देता है। जीएडी तीस अप्रैल तक तीनों पदाधिकारियों की सूची तलब करता है। इसके बाद ट्रांसफर होने पर आगामी कार्रवाई निश्चित करता है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन अपनी पालिसी को बदलाव ला सकता है। 

वर्जन 
हाईकोर्ट के समक्ष डॉ. सिंह ने सही तरीके से तथ्य नहीं रखे होंगे, जिसके कारण उनका ट्रांसफर आदेश यथावत रखा गया है। 
प्रो. कैलाश त्यागी 
प्रांताध्यक्ष, प्रांतीय शासकीय महाविद्यालीयन प्राध्यापक संघ

Source : MP Education

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